द्वापर का है कृष्ण वहीं
वह त्रेता का रघुरैया है
कहीं राम,कहीं परशुराम
कहीं मृदुल रूप रखवैया है
वह राम राम रघुरैया है
है ग्रंथों की भाषा वह
है गीता का सार वही
पतवार वही मजधार वही
वह सागर वहीं नैया है
वह राम राम रघुरैया है
है तेज वही तत्काल वहीं
है कूर्म वही विकराल वही
है श्रेष्ठ वही सब वीरो में
वही तो विश्व रचैया है
वह राम राम रघुरैया है
वह धर्म नीति का रखवाला
बन कल्कि मर्दन करने वाला है
घुमा हाथ में चक्र सुदर्शन
उसने संसार संभाला है
वह अग्नि है सूर्य वही
वह ताप है संताप वही
वही ऊर्जावान
सकल विश्व की छैया है
वह राम राम रघुरैया है
है विष्णु वह धर्म सुचालक
अधर्म पाप का नाशक है
रचने वाला है वो ही
वो ही तो विश्व विनाशक है
है प्रेम वही है रौद्र वही
कहीं सौम्य है कोध कहीं
जाने ना जिसका भेद कोई
वहीं वह भूल भुलैया है
वह राम राम रघुरैया है
जय सिया राम 🙏🙏🙏
नंदिता
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